The India Child Well-being Index

वर्तमान परिदृश्य

27 अगस्त, 2019 को गैर-सरकारी संगठनों वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर (इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च) लीड (लीवरेजिंग एविडेंस फॉर एक्सेस एंड डेवलपमेंट) के द्वारा विकसित ‘बाल कल्याण सूचकांक’ (The India Child Well-being Index) नामक रिपोर्ट को जारी किया गया। यह तीन मानकों और 24 संकेतकों के आधार पर बाल संरक्षण, बाल विकास और पोषण को मापने वाली रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बच्चों की स्थिति का आकलन करती है।

उद्देश्य

इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारत में बाल कल्याण के अल्प-शोधित विषय पर ध्यानाकर्षण और संबंधित मुद्दों पर अकादमिक और नीतिगत बातचीत को प्रेरित करना है। वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर लीड के प्रयासों ने बाल कल्याण की मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए भविष्य में अध्ययन करने की आवश्यकता वाले कुछ प्रमुख संकेतकों की खोज की है, जिनमें शामिल हैं- माता-पिता/साथियों और बच्चों के बीच मोबाइल उपयोग, डिजिटल एक्सेस, वित्तीय साक्षरता, मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों की गुणवत्ता इत्यादि।

सूचकांक

सूचकांक में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश ने स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण सुविधाओं में जबरदस्त प्रदर्शन करके क्रमशः शीर्ष तीन स्थान हासिल किया है। वहीं सबसे निचले पायदानों पर क्रमशः मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश हैं। झारखंड और मध्य प्रदेश कुपोषण तथा शिशुओं के न्यून अस्तित्व दर के कारण निचले पायदान पर हैं। सिक्किम, गोवा, पंजाब एवं मिजोरम क्रमशः चौथे, पांचवें, छठे एवं सातवें स्थान पर हैं। नगालैंड, मणिपुर, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों ने सूचकांक के मानकों और संकेतकों के आधार पर औसत प्रदर्शन किया है। औसत  से निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, त्रिपुरा, बिहार, हरियाणा और महाराष्ट्र हैं। सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर स्थित राज्यों में गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश हैं, जिन्हें बाल कल्याण के मुद्दों पर सर्वाधिक ध्यानाकर्षण की आवश्यकता है। पोषण, बाल अस्तित्व दर, जल और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर  सर्वाधिक ध्यानाकर्षण की आवश्यकता है। पोषण, बाल अस्तित्व दर, जल और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर इन राज्यों के प्रयास नगण्य हैं। केंद्रशासित प्रदेशों में पुडुचेरी का प्रदर्शन संतोषजनक है।

भारत में बाल संरक्षण एवं कल्याण से संबंधित कुछ योजनाएं

भारत में बाल संरक्षण एवं कल्याण से संबंधित सर्वप्रमुख योजना समेकित बाल विकास सेवा है, जिसके तहत आंगनबाड़ी सेवा, राष्ट्रीय पोषण मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, किशोरियों के लिए स्कीम, राष्ट्रीय शिशु गृह स्कीम और बाल संरक्षण जैसी योजनाएं शामिल हैं। वर्ष 2018-19 (संशोधित अनुमान) में समेकित बाल विकास सेवा पर 23356.50 करोड़ रुपये व्यय हुए थे, जबकि 31मार्च, 2019 तक इन सेवाओं पर हुआ वास्तविक व्यय 21640.93 करोड़ रुपये रहा।

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